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Friday, August 1, 2014

बारिश --2

बारिश --2
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सुबह से ही आलस मरोड़ रहे है बादल यहाँ मेरे शहर में आकर 
बतला रहे है कि रात खूब बरसाया मैंने पानी उसके गावं 
थक गया हूँ जरा सो लेने दो 
फिर जग कर जाऊँगा 
भर लाऊंगा तुम्हारे लिए भी पानी 
लौटूंगा जरूर अभी नींद लेने दो 
और हां सुनो बहुत नहायी वो 
छत पर खोलकर अपने लम्बे बाल 
और मैं देर तक नहलाता रहा 
सहलाता रहा उसे 
अब नींद में भी वो ही है मेरे
और मैं हूँ बेताब
फिर फिर जाकर बरसने
उसके गावं ................राकेश मूथा

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