चिडिया को पता ही नही चला
कब हुआ ये सब
धड़कन के भीतर
ये और कौन धड़कने लगा
क्यूँ ये घोंसला छोड़
नया घोंसला बनाने को जी करने लगा
धोडी सी उड़ान में ही जी मचलने लगा
उस चिडिया को पता था
जिसने उसे पैदा किया था
की कितनी अकेली हो गई है मेरी बिटिया
और यह भी की
हर बेटी के नसीब में लिखा है
भोगना ये अकेलापन
जो
उसे कल बनाएगा
माँ ///
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