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Saturday, November 28, 2009

नेट की दुनिया में अपना दोस्त ......

अब उनका जवाब आये  त्तो बात बने
इतनी देर से उनके जवाब के इंतिज़ार में 
बातें करता ही जा रहा  हूँ उनसे
अपने बारे में सब कुछ बताता
पूछता ही जा रहा उनसे उनके बारे 
और वो सोचते जाते है
क्यों कर रहाहै ये इतनी  बातें ?
क्या चाहता है ?
न जाने कौन है ?
ये सोच वो जवाब देते -देते 
रूक जाते है
और मैं  इंतिज़ार करता रहता हूँ ..
इतनी जल्दी क्यूँ बोला मैं इतनी बातें
रोज की तरह सोच-मन मसोस
देखता हूँ  मायूसी से
 बुझती हुई  चेट-बॉक्स की लाइट
और   वो नहीं मिलती  वापिस
नेट की दुनिया में भी
खा जाता हूँ  मात..!
संबंधो का गणित -
कब समझूंगा मैं ?
घोर निराशा में देखता हूँ 
किसी और चेट -बॉक्स की हरी होती   लाइट
बड़ी आत्मीयता  से करता अभिवादन उनका 
इस बार  शायद ...
 पा लूंगा  हर हाल..शायद इस बार
नेट की दुनिया में अपना दोस्त ......

5 comments:

  1. संबंधो का गणित -
    कब समझूंगा मैं ?

    -काश!! कोई भी समझ पाता...अनेक शुभकामनाएँ.

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  2. अपना दोस्त...

    सही कहा ये हरी बत्ती, लाल बत्ती और बंद बत्ती में ही सारे दोस्त सिमट गये हैं।

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  3. हा हा हा आप भी किस दुनिया से उमीद लगाये बैठे हैं? शुभकामनायें

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  4. नेट के दोस्त ऐसे ही होते हैं क्या?

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  5. करते रहिए जवाब का इंतजार
    टिपियाते रहिए ब्लॉग पर
    उनका जवाब आए न आए
    जिसका है आपको इंतजार
    दोस्ती निभा पाएं या नहीं
    दोस्ती की बुनियाद पर टिके रहेंगे
    और आपके ब्लॉग पर आकर
    टिप्प्णी करते रहेंगे हम ....

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