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Friday, November 6, 2009

आशंकाओं के साथ

कुछ कहने से पहिले
आशंकाए आकर बैठ जाती है
ऐसे जैसे मित्र आया हो पुराना
और शुरू हो जाती है मुझे समझाना
नहीं ये ठीक नहीं तुम्हारे लिए
सोच्लो अगर ऐसा तुमने कहा त्तो उसके क्या होंगे परिणाम ?
और में हंस देता हूँ बस उन्हें देख
वे भी हंस कर चली जाती है
क्या आशंकाओं ने उन्हें भी समझाया था आज ..??
अब ये ही रिश्ता नसीब है हमे
आशंकाओं के साथ /

2 comments:

  1. bahut sundar! Antarmaan ki baat kah di hai aapne. Hume laga ki hum apne maan ko padh rahe hai.

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  2. waah..........bahut hi gahan

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