बहुत पानी था
पिछले साल तक
इस कुवे में
मीठा इतना की दूर दूर से आते थे लोग
पीने यहाँ पानी
अब
उडती रेत में जैसे तैसे
पहुंचे यहाँ बुझाने अपनी प्यास
तो रोते रोते सुख गए
मन के सोते भी
माँ मेरी कहा करती थी
जब पोता हो मेरा
तो पहिला घूँट
पिलाना गाव के इस कुवे का
ये कुवा नहीं अपना समस्कार है
जीवन मूल्य है
इसके मीठे पानी जैसा
मधुर व्यवहार
हमारे जीने का है आधार
बेटा इस कुवे में जब तलक है पानी
अपने बच्चों की खुशहाल रहेगी जिंदगानी
जो ये जाये सूख तो समझ लेना
अब बस .....बस .....समझ लेना ...
मुह से न कहूँ .....कैसे कह सकूँ
समझ ही लेना
इस पानी के साथ जुडी है अपनी जिंदगानी ........
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeletebhut khub
ReplyDeleteshabdar
bhut khub
ReplyDeletesahi kaha he aap ne
shabdar