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Thursday, September 17, 2009

पीहर से आया फ़ोन

पीहर से आया फ़ोन
मुझमें से निकल भागी
लड़की ...
ये कौन !
खिलखिलाती
हंसती ,कूदती
कुलांचें मारती ...
बंद होते ही फ़ोन
हो निढाल
चुपचाप
ओढ़ फ़िर ये लबादा
खो गई मुझमें

लड़की ...
वो कौन!
पीहर से
तूने
क्यों किया रे बाबा
मुजको....फ़ोन ///

2 comments:

  1. बहुत खुब। लाजवाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई..........

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  2. पीहर से आया फ़ोन
    मुझमें से निकल भागी
    लड़की ...
    ये कौन !
    खिलखिलाती
    हंसती ,कूदती
    कुलांचें मारती ...

    sach mein bahut bahut hi khoobsorat bhav ko aapne lafz diye hai .aur un lafzo ne milker ek tasveer se kheech di hai ....ki pal bher mein kaise badal jati hai ....ek larki pehar ki aawaz sunker

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