seep ka sapna
Search This Blog
Tuesday, September 15, 2009
parmatma
पहाड़ पर पताका हूँ
ढलान पर पत्थर हूँ
मैदान पर नदी हूँ
सागर की में हूँ मछली
धरती पर हूँ फूल खिलता हुआ
आकाश पर हूँ रंग आसमानी
बादल में हूँ अद्रिस्य पानी
शरीर में हूँ आत्मा
अब कैसे न
मिलेंगे मुझको
परमात्मा //////
Newer Post
Older Post
Home