दर्द दांत का
सुजा मुह
कान में जैसे बहता दरिया
दिमाग हो गया शुन्य
अब बिछोह की घड़ी है
५० साल का साथ
यों झटके से कैसे छूटता
दर्द होगा विदाई की बजेगी शहनाईयां
याद रहेगी बिछोह की
मुह में खाली स्थान फिरती रहेगी जीभ
खलती रहेगी कमी एक सजीव को एक निर्जीव की ...
अब चाहो तो सीखो
वरना
गया जैसे दांत
गुजर
जाएगा ये समय भी ....
अब चाहो तो सीखो
ReplyDeleteवरना
गया जैसे दांत
गुजर
जाएगा ये समय भी ....
बहुत सुन्दर. दांत के माध्यम से बडी शिक्षा दी है आपने.