समय उदास सा बैठा है चुप चाप
सूरज की किरने दे रही है गति दिन को
कोई पूछता ही नही अब समय को
सब खो गए है अपने में इतना
कोई इंतिज़ार करता नही
घडियां गिनता नही अब घंटे मिनट सेकंड की सुइयों
को ताकता नही
पास से निकल जाता है हर कोई टाल कर समय को
और जो पूछते है समय को
वे सब हारे हुए इन्सान है
जिनकी मुस्कराहट उनकी असफलताओं की श्रृंख्ला ने छीन ली है
मुस्कराते हुए ,चमकते हुए चेहरे
कभी समय के पास बिताते अपने क्षण
ऐसा देखा नही
समय ही उनके पास जाता है
बिताने अपनी घडियां ......
समय ही उनके पास जाता है
ReplyDeleteबिताने अपनी घडियां ......
नज़रिया अलग सा
अच्छा लगा
नवगीत बढ़िया है।
ReplyDeleteभइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
समय के संग जो भी चले बन जाता है खास।
ReplyDeleteसमय समय पर देख ले नहीं समय है पास।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
ांलग भाव लिये सुन्दर अभिव्यक्ति आभार्
ReplyDeletebahut hi alag nazariye se samay ko vyakt kiya hai
ReplyDeletebehad khubsurat hain apki sabhi kavitayen
ReplyDelete