कब आम पक गए
कब उन्होंने तोड़ लिए
पत्ता ही नहीं चला
अपने लगाये पेड़ का
एक आम भी नहीं खाया अब तक
मगर ख़ुशी है कि आम आये, लोगो ने खाए
और खाकर कहा
मीठे है आम
ये ख़ुशी मुझे शायद आम खाने से नहीं मिलती
बस इतनी सी बात कहनी थी
बेटा ---
मुझे पता है तुम समझ जाओगे .//..........राकेश
पर ये मानसिकता अब कहां ??
ReplyDeleteshukria,
ReplyDeleteparopkar ki bhawana se labrez hain aapke meethe aam.
बहुत गहरी बात!
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