वो सर्दियों के ब्रहम मुहर्त का समय था
जब मैने सुनी थी तुम्हारी आवाज कांपती हुई
उसके पीछे से झांकती - तुम्हारी पवित्रता
ऐसे बज रही है अभी भी मेरे कानों में
जैसे मंदिर के घंटे से आती हो आवाज
ईश्वर का आवाहन करती हुई
तुम बात मुझसे कर रही थी और आवाहन अपने पति का करतीथी /
दोस्त- होने का मतलब कौन समझे अब
लिंग समझते है लोग
विपरीत लिंगो की दोस्ती को
दबी मुस्कराहट से देखते है
उसी परेशानी से भीगी तुम्हारी पेशानी
लाख बात्तों में उलझी
मेरी तेरी दोस्ती
बहुत दूर तक जगमगाई उस सुबह
सितारे सी दुनिया कोचमका गयी
सर्दी की सुबह
ब्रहम मुहूर्त में जो हुआ तुमसे सम्बन्ध
वो अब गूंजता रहेगा अनवरत
किसी मस्जिद की अजान की तरह
किसी मंदिर में बजते शंख की आवाजो सा
या चर्च में
गुरुद्वारों में
बजती घंटियों सा
सदियों तक हर सुबह
गाता रहेगा ये प्यार चिड़िया के गान सा
दुनिया को जगाता रहेगा
भरता अपने प्यार से .....
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ReplyDeleteप्यार का सुन्दर एहसास।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
प्रेम की पवित्र प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता |
ReplyDeleteआशा
बहुत ही जबरदस्त है ये तो.. बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteगुलाब की कली पर
ReplyDeleteसुबह की अरुणाई में
इक पवित्र ओस की बूंद सी लीखी
आपकी यह कविता लगी.
अच्छी लगी ये पोस्ट थोड़े में बहुत कुछ समेटे. पवित्र की प्रेम प्रस्तुति ।
ReplyDelete.
मन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता
ReplyDeletepavitra prem ki pavitra subah...ja ab tak yaad hain..
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