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Sunday, April 4, 2010

भरता अपने प्यार से .

वो सर्दियों के ब्रहम मुहर्त का समय था
जब मैने सुनी थी तुम्हारी आवाज कांपती हुई
 उसके  पीछे से झांकती - तुम्हारी पवित्रता
ऐसे बज रही है अभी भी मेरे कानों  में
जैसे मंदिर के घंटे से आती हो  आवाज
ईश्वर  का आवाहन करती हुई
तुम बात मुझसे कर रही थी और आवाहन अपने पति का करतीथी /
दोस्त- होने का मतलब कौन समझे अब
लिंग समझते है लोग
विपरीत लिंगो की दोस्ती को
दबी मुस्कराहट से देखते है
उसी परेशानी से भीगी तुम्हारी पेशानी
लाख बात्तों में उलझी
मेरी तेरी दोस्ती
बहुत दूर तक जगमगाई उस सुबह 
सितारे सी दुनिया कोचमका गयी
सर्दी की सुबह
ब्रहम मुहूर्त में जो हुआ तुमसे सम्बन्ध
 वो अब गूंजता  रहेगा अनवरत
किसी मस्जिद की अजान की तरह
किसी मंदिर में बजते शंख  की आवाजो सा
या चर्च  में
गुरुद्वारों में
बजती घंटियों सा
सदियों तक हर सुबह
गाता रहेगा ये प्यार चिड़िया के गान सा
दुनिया को जगाता रहेगा
भरता अपने प्यार से .....

9 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. प्यार का सुन्दर एहसास।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. प्रेम की पवित्र प्रस्तुति ।

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  4. मन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता |
    आशा

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  5. बहुत ही जबरदस्त है ये तो.. बहुत बढ़िया!

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  6. गुलाब की कली पर
    सुबह की अरुणाई में
    इक पवित्र ओस की बूंद सी लीखी
    आपकी यह कविता लगी.

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  7. अच्छी लगी ये पोस्ट थोड़े में बहुत कुछ समेटे. पवित्र की प्रेम प्रस्तुति ।

    .

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  8. मन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता

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  9. pavitra prem ki pavitra subah...ja ab tak yaad hain..

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