एक किनारे पर खड़े हुए
दूसरे किनारे की तरफ नज़र डालता हूँ
पानी ,अथाह पानी ...दूर होगा शायद तट
ऐसा मान खो जाता हूँ ...
उसी दुरी से तो तुम आती हो
मुझसे चेट करने इंटरनेट पर
तब लगता है तुम यही हो मेरे पास
इतनी वास्तविक कि
में सारा अपना दुखड़ा ,सारा अपना सुख
बाँट लेता हूँ तुम्हारे संग
फिर ,अचानक जब कई घंटो ,कई दिनों
नहीं मिलती तुम मुझे
तब सागर के इस किनारे
आती जाती लहरों के बीच थपेड़े खाते
अपने ख्यालों के संग
पहुंचना चाहता हूँ-- तुम तक
मिलकर तुमसे -जीना चाहता हूँ कुछ पल
मगर कुछ नहीं होता ...
बीतते जाते है दिन महीने
जैसे नोचती है चिड़िया पेड़ के तने को अपनी चोंच से
खोजती हुए अपने बच्चों को ,अपने प्यार को
में खोजता हूँ तुम्हें
नोच नोच अपने समय को
जाता हुआ अपने से दूर
कल्पनाओं के तारों में उलझता
खोते खोते अपना वजूद
धरता हूँ ...तुम्हारा रूप ...
खोते खोते अपना वजूद
ReplyDeleteधरता हूँ ...तुम्हारा रूप ...
bahut hi sunder pqanktiyaa
आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
ReplyDeleteक्या जबरदस्त..लेखन मोहित करता है आपका!
ReplyDeletekya jazvat hai..........
ReplyDeletebahut gahre jazbaat .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखते है आप !!!!!!
ReplyDeleteतुम दूर हो
ReplyDeleteबहुत दूर
लगता नहीं तुम मिलोगी कहीं
एक दिन इन्टरनेट के माध्यम से
तुम से मुलाक़ात हो गयी
दिल ने कहा तुम ही हो,तुम वही हो
तुम से मिलने पर मैं खो सा गया
सब कुछ भूल गया
अपने अंतर्मन की सब बातें तुम से कह डालीं
लगा मानो हम में कोई दूरी नहीं है
तुम मेरे करीब हो
इतनी करीब की तुम मुझ में समां गयी
और मैं तुम में
हम दोनों एक हो गए
मैं भूल गया की तुम कोरी कल्पना हो
तुम मेरी तरह नहीं हो सकती
मैं तो तुम्हारा तस्सवुर कर
तुम्हे अपने रूप में ढालने के लिए बेताब फिर रहा हूँ
पर कल्पना तो कल्पना है
उसे कहाँ रूप दे पाउँगा मैं
तुम्हारी काल्पनिक खूबसूरती का पार न पा सकूंगा
मैं तो केवल दूर से देख कर तुम्हे
अपनी संगिनी बनाने का ख़वाब ही देख सकता हूँ
फिर एक दिन तुम चली गयीं
कभी न लौटने के लिए
ख़ाली स्क्रीन मुँह बाए मेरी तरफ देख रही है
मानो मुझे चिढ़ा रही हो
कह रही हो
कि कल्पना कभी वास्तविकता नहीं बन सकती
वो तो केवल कुछ पलों के लिए
मन को बहला देती है
पर मैं खुश हूँ
कि कुछ पल के लिए ही सही
मैंने तुम्हें पाया तो सही
बस मेरा जीवन सफल हो गया
एक बार तुम्हें मिलने के बाद
अब मौत भी आये तो कोई ग़म नहीं
क्योंकि तुम एक हो गयी मुझ में समां कर!!!!!!!!!!!!
"मुझसे चेट करने इंटरनेट पर
ReplyDeleteतब लगता है तुम यही हो मेरे पास"
rakesh ji pooree kavita ke sath
yah prayog achchha lga
srahneey