अचानक सब ख़तम हो जाता है
अभी था अभी नहीं रहता
साँस का सूत टूट जाता है
देह नहीं रहती
सम्बन्ध वीराने में तड़पता है
रेगिस्तान में जैसे धुल उडती है
चेहरे पर सारे वे क्षण
जो उसके साथ बीताये
अपने रंगों के साथ
छोड़ देते है गहरी लकीर
वो हो जाता है बीता हुआ क्षण
जो मेरे हर वर्तमान में अब झांकेगा
मुझे तोड़ेगा कभी
कभी मुझे सहारा देगा
वो न रह कर
इतना रहेगा मेरे साथ
जो अब में बचा पाऊं अपना आप
तभी उसके प्यार को पहचान दे पाऊँगी
अचानक
ये क्या हुआ ?
क्यों हुआ ?
प्यार का ये रंग
अब शायद ही कभी उतरेगा .......
बहुत जबरदस्त!
ReplyDeleteनहीं उतरता है प्यार का रंग ।
ReplyDeleteप्यार का ये रंग
ReplyDeleteअब शायद ही कभी उतरेगा .......
सुन्दर ...!!
Nice One!
ReplyDeleteबहुत खूब पर जो ये जाये सुख तो बहुत बढ़िया लगी
ReplyDeleteअचानक
ReplyDeleteये क्या हुआ ?
क्यों हुआ ?
प्यार का ये रंग
अब शायद ही कभी उतरेगा .......
......उमड़ते घुमड़ते मनोभाओं की सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
bahut adhbhut abhivayakti
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