Search This Blog

Saturday, April 10, 2010

चहचहाती दुनिया के लिए

पेड़ पे चिड़िया उदास है
सुबह से उठता ही नहीं बेटा
न हिलता डुलता
पड़ा है निरा शरीर
बार बार उड़ उड़ कर चिल्लाई वो
सब खामोश है
आकाश नीला है
पेड हरा ,हवा बेचारी ठहरी  है ठिठक
कुछ कोव्वे आये है
मंडराते कह गए है
अब नहीं ये तेरा बेटा
क्यों चिल्लाती
खाने दे हमें ..पेट भर जायेगा हमारा
और चिड़िया छोड़ देती घोंसला
सुनती अपने बेटे को अपने में
और चहचहाती दुनिया  के लिए
उडती है ......

2 comments:

  1. badee hee marmik par such kee dastan dil ko choo gayee......

    ReplyDelete
  2. हर बार की तरह नए शब्दों और प्रयागों के माध्यम से एक और शानदार रचना - हार्दिक बधाई और धन्यवाद्.

    ReplyDelete