Search This Blog

Friday, June 3, 2011

पसरा रेगिस्तान

आकाश चढ़ी बालू 
हैरान हुई आकाश से देख रेगिस्तान 
जिसे समझ कर पानी वो हुई थी मुलायम 
वहा तो दूर दूर तक पानी का निसान नहीं  
निराश बालू  हैरानी और निराशा  मैं हुई काली कलायन 
लोग समझे अब आती ही होगी बारिश 
ये  बादल काले है 
बरसेंगे ....और हर नदी को भर देंगे 
मगर हवा ऐसी चली और बरसाई आंधी ने बालू  फिर 
पसरा फिर  रेगिस्तान 
प्यास भड़काता ,प्यास चबाता 
समो कर अपनी बालो फिर अपने मैं 
सो गया फिर 
गहरी नींद 



No comments:

Post a Comment