आकाश चढ़ी बालू
हैरान हुई आकाश से देख रेगिस्तान
जिसे समझ कर पानी वो हुई थी मुलायम
वहा तो दूर दूर तक पानी का निसान नहीं
निराश बालू हैरानी और निराशा मैं हुई काली कलायन
लोग समझे अब आती ही होगी बारिश
ये बादल काले है
बरसेंगे ....और हर नदी को भर देंगे
मगर हवा ऐसी चली और बरसाई आंधी ने बालू फिर
पसरा फिर रेगिस्तान
प्यास भड़काता ,प्यास चबाता
समो कर अपनी बालो फिर अपने मैं
सो गया फिर
गहरी नींद
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