दिन भर याद नहीं आती
और दिन भर अब याद करना
कहा इतना आसां
रोजी रोटी
बहुत मुश्किल हुई यारों
प्यार ऐसा नहीं कि हम भूल जाए
ऐसा भी नहीं कि वो हमें भूल जाए
पसीने की बूंद बूंद झरती है
न जाने कितने लोगो से कब कैसे कैसे मिलते है
दिन भर फोन ,टेक्सी ,कार ,होटल
नेट ,विडियो कॉफ्रेंस ,बैठके
सुबह की आठ से रात की नौ
फिर पार्टियाँ ...रात की बारह
फिर नींद .........नींद .....
और फिर एक दिन महीने का ऐसा
पूरे दिन वो मेरे साथ में उसके साथ
यों अब इतना मिलता रहे साथ
ये बहुत है ..कभी हो जाए जो इससे ज्यादा साथ
उस दिन की कहानी नहीं सुनानी मुझे
और तुमसे भी कहू
मत सुनना कहानी वो
मेरे यार !!
बहुत ही बढ़िया दिल से निकली अभिव्यक्ति,
ReplyDelete- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com