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Tuesday, August 12, 2014

हां ,प्यार ही है जीवन का अर्थ

 क्या है अर्थ इन हवाओं का
इन हरे पेड़ों का
इस बहती नदी का
चहचहाती चिड़िया का
खुद मेरा
मेरे जीवन का
क्या  है अर्थ
कहा है ,कैसे है
बर्गलाओं मत
तुम्हे कसम है
मेरे प्रश्न को यूँ हवा में उछालो मत
हल ढूंढो
मैं क्यों जी रहा हूँ
क्या करने जी रहा हूँ
मेरे न जीने से क्या फर्क होगा
कुछ सवाल है जो मुझे अजीब भूलभुलैया में ले जाते है
मगर न जाने क्यों मेरे हर प्रश्न के  जवाब मे
तुम खड़ी मुस्कुराती दिखती हो
और मेरे सारे अँधेरे भाग जाते है
शायद हां ,प्यार ही  है जीवन  का अर्थ  ....................राकेश मूथा 

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