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Sunday, September 20, 2009

निशाना

दुनिया के किसी कोने में
मुझे तुम चाकू से गोद गोद
मार डालते हो
किसी कोने में दुनिया के
प्यार से चूम चूम
और किसी किसी कोने में त्तो
छोड़ मुझे अपने हाल न त्तो चाकू से
न प्यार से
बल्कि नकार कर मेरा अस्तित्व
मुझे अपने अकेलेपन में छोड़
मार
डालते हो !
यों दुनिया के हर कोने
मुझे मारा जाता है
फ़िर वह क्या है ?
जो हर बार शेष रह जाता है
मेरे पास
जिसे समाप्त करने
तुम अब
भी
निशाना साधे बैठे हो ////

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और भावपूर्ण रचना

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  2. फ़िर वह क्या है ?
    जो हर बार शेष रह जाता है
    मेरे पास
    जिसे समाप्त करने
    तुम अब
    भी
    निशाना साधे बैठे हो ///

    bahut khoob ......shayad apne ander ke shaitaan ko hi vo baar baar marta hai......
    jub pyar kerta hai tu bhi apne ander ke hi insaan ko kerta hai......
    kyoki ek hi insaan ke ander shaitaan aur dev gun nazer aate hai na

    bahut sunder rachna hai aapki

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  3. सिर्फ़ एक शब्द "बेहतरीन"

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