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Sunday, October 11, 2009

ये मैं जान लूंगी ख़ुद

स्त्री हूँ

चाहती हूँ

खिले फूल

मंडराए तितलियाँ

महके खुशबू

भवरा घूमे इर्द गिर्द

फैलें हर ओर प्यार

और मिले मुझे भी एक ऐसे पुरूष का साथ

जो नाचे ,गाये ,झूमें मेरे संग संग

बिना ये जतलाये की वो पुरूष है

ये में जान लूंगी ख़ुद ...///

5 comments:

  1. बिना ये जतलाये की वो पुरूष है

    ये में जान लूंगी ख़ुद ...///

    sundar bhaav

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  2. STREE-SVABHAAV
    PAR
    MANOVAIGYANIK DRISHTIKON...!!
    ACHHAA SANYOJAN HAI

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