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Sunday, April 11, 2010

हमसे बात करो ...

सो जाऊं
अभी कहा नींद
अभी तो दस्तक  दी है उसकी याद ने
उससे बात करेंगे ,कुछ अपनी कहेंगे
कुछ उसकी सुनेंगे
बात जब हाथ पकड़ विचरने  लगेगी
जंगले के सूखे पत्तों पर
कुछ कसकती हुए आवाज चटकने लगेगी
सूखे पत्तेंजब आग पकड़ने को होंगे
पत्ते हरे आने लगेंगे
फूलों पर भँवरे मंडराने लगेंगे
तितलियाँ  जब अपने रंगों में आएँगी
भँवरे भी जब कलियों के कान खुस्फुसयेंगे
तब सोने को जायेंगे
सपने अपनी नींद में जो आयेंगे
दिन कि धूप को खुशनुमा बनायेंगे
तब  तलक आओ तुम
हमसे बात करो ...

8 comments:

  1. bahut khoob sir yaadon ke jharokhe sach me sone nahi dete....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.

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  3. aaj yahee sab manusyo ke sath bhee ho rha hai bastar me. achchhee abhivakti

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  4. वाह! कविता वाकई सुन्दर है

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  5. ati sunder rachana.......

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  6. छूती हुई गुज़रती है सर. बधाई.

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