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Sunday, May 2, 2010

हंसी ये उसकी पुकार है

हंसने की कोशिस
टपका गयी है कपोलों पर
वो पानी जो कब का अटका था
पलकों पर ठहरा ठहरा
छोड़ गया अपना सारा नमक
उसकी आँखों को करता और सुफेद
चमकाता काले कोये को
और चोकन्ना करता उसे
अपने बिछुड़े यार के
और नजदीक ले जाता है
हंसी ये उसकी पुकार है
जिसे वो सुनेगा कभी ....

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