बहुत बार ऐसा होता है
उतेजना ,संत्रास ,दुःख ,क्रोध
फिर अवसाद ,निराशा
छा जाती है
ख़ुशी ,जोश ,प्रेम .उत्साह
आशाएं ,सपने .......
सूखी पतियों की मानिंद
इस तूफ़ान मैं मुह छुपाती भागती है
तभी गए वक़्त की दोस्त चिड़िया
इन पतियों को अपने घोंसलें मैं
जगह देकर अपनी चहचहाट से
फिर हरा कर
एक विशाल उपवन बना देती है
ये चिड़िया ....कौन है ..कहा से आती है
सब के पास होती है ये चिड़िया
माँ ,बहिन ,दोस्त ,पत्नी जैसी
कभी कभी बेनाम अनजान
मगर मिलती है ये चिड़िया सबको
निराशा से निकाल आशा की ओर ले जाती हुई
हाँ मगर
आना चाहिए हमें चिड़िया से करना प्यार
बस इतना भर अगर हम कर सके
तो जीवन के हर उतार
पायेंगे हम उसे अपने साथ ....
सच है तभी हम ले जायेंगे स्वयं को आशा की गोद में।
ReplyDeletesundar!
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