कई बार जल्दी हो जाती है कुछ बातें कहने मैं
कुछ देर का धैर्य अगर रखा होता तो शायद
ये निराशा... ये दुःख सामने नहीं होता
मगर वह जल्दी ..वह तुरंत पाने की अभिलाषा
आपको बौना कर जाती है
फिर आने वाले हर पल
बोनसाई की तरह सजे हुए
आप ताकते है
फटी आँखों से खुदको
कभी कभी धैर्य रखने से कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें.
sahaj pake so meetha hoy.. shubhkamna
ReplyDeletesachchi baat!
ReplyDeleteshubhkamnayein..