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Saturday, April 9, 2011

विश्वास

विश्वास का पौधा 
सूखने लगता है 
अगर उसे सींचा नहीं जाये 
प्रेम और सच्चाई से 
जैसे हरे पत्ते मुरझा जाते है 
पीले पड़ मिटटी की मानिंद 
मिल जाते है मिटटी में 
विश्वास भी बिखर  कर
सम्बन्ध  को धूल धूसरित कर देता है 
फर्क  इतना ही है दोनों में 
पत्ते धूल में मिल नए पत्तों को प्राण देते है 
विश्वास धूल में मिल अवाक कर देता है 
और संबंधो की जमीन को बंजर बना देता है 
इसलिए प्रिय .....और कुछ भी करना 
 न भंग करना
विश्वास 
बचाना हमारे समय को
प्रेम से सीचना
सच्चाई की खाद डाल कर
रखना सदा हरा .......

7 comments:

  1. सींचते रहना पड़ेगा।

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (11-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. विश्वास
    बचाना हमारे समय को
    प्रेम से सीचना
    सच्चाई की खाद डाल कर
    रखना सदा हरा .......


    हरी -भरी ज़िन्दगी के लिए सबसे आवश्यक बात .....!
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!

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  4. सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति

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  5. विश्वास का पौधा
    सूखने लगता है
    अगर उसे सींचा नहीं जाये
    प्रेम और सच्चाई से


    हरी-भरी ज़िन्दगी के लिए आवश्यक, बहुत सुंदर सन्देश देती अच्छी प्रस्तुति.प्रेम से सीचना सच्चाई की खाद डाल कर रखना सदा हरा .......

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  6. sach kaha aapne .....agar ye saamne wale ko samajh aa jaye to man-mutav kabhi janm hi na le.

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  7. विश्वास से बढ़कर कुछ नहीं होता । बहुत लगत से सींचना होता है इसे।

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