seep ka sapna
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Tuesday, April 19, 2011
आस
आस
महक आई है वो
चुहुक कर
खिल उठा
फिर मैं
उसी रंग
तुम आई हो ?
या तुमने आने की सोची है
या गुजर रही हो फिर
नहीं जानता
हाँ हुआ है मुझे यकीन
आस हो
तुम यही
मेरे पास हो ....
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