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Sunday, June 19, 2011

चिड़िया

चिड़िया धीरे धीरे 
रात को सवेरा करती 
धीरे धीरे चह चह  करती 
फिर देर तक चहचहाती 
आकाश के नीले को 
देती अनुपम राग 
उरझा देती पेड़ों को ..धरती को 
नदी को देती नयी चाल 
अँधेरे को कोमल करती 
नींद देती ...यू सबसे करती प्यार 
चिड़िया अपने होने को पुख्ता करती 
बिना पढ़े कोई पोथी 
देती अनमोल ज्ञान ......
चिड़िया के बिना 
प्यार में नहीं कभी कोई सार /////

1 comment:

  1. चिड़िया के माध्यम से
    जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को
    छू दिया गया है ...
    बहुत सुन्दर रचना !!

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