बनते है नए जाले
खामोश साज संगीत में बदल जाते है
सुर जो थे गले में
वो गाते है
जो था कही भीतर
वो कागज पर छूट जाता है
दृश्य आँख में ठहर
बरसों तक रहते है साथ
ये देह का पिंजर छूट जाता है
यादों से गुथे इस संसार
बनते है नए जाले
जिसमे समय की मकड़ी
अपने एकांत में
बुनती है ये दुनिया
अनुपस्थितो की खुस्फुसाह्टों के साथ
..समय को देती नए ख्वाब ........
जिसमे समय की मकड़ी
ReplyDeleteअपने एकांत में
बुनती है ये दुनिया अनुपस्थितो की खुस्फुसाह्टों के साथ
वाह, विवेक जैन vivj2000.blogspot.com