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Saturday, June 18, 2011

बनते है नए जाले

बनते है नए जाले

खामोश साज संगीत में बदल जाते है 
सुर जो थे गले में 
वो गाते है 
जो  था कही भीतर 
वो कागज पर छूट जाता  है 
दृश्य आँख में ठहर 
बरसों तक रहते है साथ 
ये देह का पिंजर छूट जाता है 
यादों से गुथे इस संसार 
बनते है नए जाले
जिसमे समय की मकड़ी 
 अपने एकांत में 
बुनती है ये दुनिया 
अनुपस्थितो की खुस्फुसाह्टों के साथ 
..समय को देती नए ख्वाब ....

....



1 comment:

  1. जिसमे समय की मकड़ी

    अपने एकांत में

    बुनती है ये दुनिया अनुपस्थितो की खुस्फुसाह्टों के साथ
    वाह, विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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