बहुत सारे उपकरण
और हम अब उनके सामने
संख्या में कम
उन पर निर्भेर
वो हमारी मर्जी से नहीं
हम उनकी सुविधाओ के अनुसार
ढालते है खुदको
बनाते हम है
और हम ही दास हो जाते है उनके
एक दिन हम देखेंगे
खुदको उपकरण की तरह
और वो करेंगे प्यार
घरो के वो होंगे मालिक
और हम उनके उपकरण ......
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