गुनाहों की ख़ामोशी
मेरी छत है
जिसमे नींद है नया गुनाह
और नए किस्म की ख़ामोशी
और देर तक इंतज़ार
ख़ामोशी दंड मिलने पर हो जाती मुखर
और अधिक स्वतन्त्रता के साथ
मैं होता उदास
पूछता कहा गयी मेरी खुशियाँ ,
क्यों चुनी मेने ये राह
जरुरी नहीं होता गुनाहगार सजा पाए
मगर मेरी ये आवश्यकता सजा की
मूल्य है मेरा ...और मेरी ख़ुशी भी ....
इसीलिए ये
गुनाहों की मेरी छत
मेरी जेल को अद्भुत बनाती है
मुझे पता है मेरी इस जेल
तुम भी आओगी कैदी बन
रहने मेरे साथ !
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