Search This Blog

Wednesday, February 1, 2012

.सूरज उगने को है !!






जब भी पानी सोचा ,उड़ उड़ रेत चेहरे पर आई
आएने ने सोचा 
धूल क्यों आई
मेरे पानी पर
झील पर मंडराती  चील को देख
उमड़ी मछली ये सोच फुदकी
मैं  कब से लगी उड़ने
और चील ने तोडा कौर मछली का
जैसे मारे चोंच चिड़िया आएने से झांकती अपनी छब पर
खेल ये देख मंद मंद मुस्काई हवा
पहाड़ पर उतरी फिर रात
दूर लालटेन की रौशनी में हिलती  छाया
देर तलक याद दिलाती रही
बस सुबह होने को है .....सूरज उगने को है !!

1 comment: