प्रेम में क्यों दीखता है
उसके कुछ न होने का दर्द
वो जो भी है मेरा है
कुछ हो न हो
मुझे इससे क्या
मेरा प्रेम है
इतना काफी क्यों नहीं
शुरू प्रेम के दिनों के बाद
प्रेम जितना नहीं छाता
ये दर्द उससे ज्यादा मुझे सालता .
प्रेम में ये कैसी दरार .....राकेश मूथा
उसके कुछ न होने का दर्द
वो जो भी है मेरा है
कुछ हो न हो
मुझे इससे क्या
मेरा प्रेम है
इतना काफी क्यों नहीं
शुरू प्रेम के दिनों के बाद
प्रेम जितना नहीं छाता
ये दर्द उससे ज्यादा मुझे सालता .
प्रेम में ये कैसी दरार .....राकेश मूथा
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