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Wednesday, September 9, 2009

वो जो उड़ रह था

वो उड़ रहा था
गायब हो गया
तलाश में जो हमे मिला
वो अवशेष ही था
जो उसके न रहने पर
उसके होने की याद दिलाता है
जब वो था त्तो अकेला था
कौन उसकी बात सुनता था
आज भी कौन सुनता है
मगर सब जानते है
की सिहांसन तक पहुचने के लिए
आज उसकी बातें करना बहुत आवश्यक है
कल मिल जाए सिहांसन
भूलने कोसिस धोडे ही करनी है
बल्कि बहुत जोर लगा कर भी कोसिस करेंगे
त्तो उसकी याद नही कभी आनी है ////

1 comment:

  1. जब वो था त्तो अकेला था
    कौन उसकी बात सुनता था
    आज भी कौन सुनता है
    मगर सब जानते है
    की सिहांसन तक पहुचने के लिए
    आज उसकी बातें करना बहुत आवश्यक है

    bahut khoob......rakesh ji aapki rachnaoo mein ek nayi laher ka aabhas milta hai.....
    katu satya kaha hai aapne.....

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