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Sunday, September 6, 2009

रहस्य

किसी के
रहस्यों को जान लेने के बाद
एक अजीब सी
उदासीनता के साथ
अलग हो जाना पड़ता है उनसे
पंख विहीन पक्षियों सा
पड़ता है छटपटाना
अपने अकेलेपन के साथ
क्यों जाना उनका रहस्य
क्यों खंडहर कर दिया
एक बसी-बसाई दुनिया को
जिसकी कल्पना में
बुनते जाते थे
हम
अपनी दुनिया ///

3 comments:

  1. woww very true..dis is too good :)

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  2. wah ....sach kaha hai.....

    yu tu kaha jata hai satyam shivam sunderam ...
    lakin kabhi kabhi asatya satya se jyada saath nibhata hai......
    ye hamare uper hai ki hum kisko kaise nazeriye se dekhte hai

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  3. किसी के रहस्यों को जान कर उदासीन हो जाना सच्चे कवि का काम नहीं उसे तो और और प्रेमपूर्ण हो जाना चाहिए.. नहीं तो एक आम आदमी और कवि में अंतर ही क्या है ?

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