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Tuesday, September 8, 2009

जीत

बहुत जोर लगा कर
खीँच रहा हूँ
मगर
अब भी वही है रस्सा
हम सब जोश में है

जोश व् ताकत से लगाते है जोर जीतने
की इच्छा में
मगर
बल जो हमारे विपरीत कर रहा है काम
हमे वही पर रोके रख रहा है
बुजुर्ग सब यही कहते है
हम जीत गए जो हालत को और
बिगाडा नही
ज़माने को
सुधारना
अब दुवास्वप्न है .....

1 comment:

  1. हम जीत गए जो हालत को और
    बिगाडा नही
    ज़माने को
    सुधारना
    अब दुवास्वप्न है .....

    bahut gahri baat

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