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Monday, October 19, 2009

बिताने अपनी घडियां

समय उदास सा बैठा है चुप चाप
सूरज की किरने दे रही है गति दिन को
कोई पूछता ही नही अब समय को
सब खो गए है अपने में इतना
कोई इंतिज़ार करता नही
घडियां गिनता नही अब घंटे मिनट सेकंड की सुइयों
को ताकता नही
पास से निकल जाता है हर कोई टाल कर समय को
और जो पूछते है समय को
वे सब हारे हुए इन्सान है
जिनकी मुस्कराहट उनकी असफलताओं की श्रृंख्ला ने छीन ली है
मुस्कराते हुए ,चमकते हुए चेहरे
कभी समय के पास बिताते अपने क्षण
ऐसा देखा नही
समय ही उनके पास जाता है
बिताने अपनी घडियां ......

6 comments:

  1. समय ही उनके पास जाता है
    बिताने अपनी घडियां ......
    नज़रिया अलग सा
    अच्छा लगा

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  2. नवगीत बढ़िया है।
    भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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  3. समय के संग जो भी चले बन जाता है खास।
    समय समय पर देख ले नहीं समय है पास।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  4. ांलग भाव लिये सुन्दर अभिव्यक्ति आभार्

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  5. bahut hi alag nazariye se samay ko vyakt kiya hai

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  6. behad khubsurat hain apki sabhi kavitayen

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