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Saturday, October 31, 2009

तुम्हारे साथ ??

अब कब मिलोगी ?
गाड़ी छुटने को है
हाथों में उसका काँपता हाथ
पल रेत की मांनिंद झरने को है
अभी गाड़ी चली जायेगी
देह उसकी उस गाड़ी में होगी
और मेरी देह मेरे पास
मगर ये क्या गाड़ी भी चली गई
उसकी देह भी नही मेरे पास
मगर वो त्तो अभी बखूबी है मेरे साथ
बुनती बातों से आने वाला कल
और काटती ,मापती ,सजाती
मोहब्बत का ताज
पून्छु उससे
क्या मेंं भी हूँ गाड़ी में यू ही
तुम्हारे साथ ??

2 comments:

  1. waah ...........kya alokik ahsaas diya hai........bahut hi gahan anubhuti karati nazm.

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  2. वाह !!!!!

    दिल को छू गयी!!

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