Search This Blog

Wednesday, January 6, 2010

अब भी शरमाता सा है

धुंधला सा है
उडती रेत में
बनता चेहरा
बीते दिनों में
ये क्षण लौटता   सा है /

जानता हूँ ये
अब नहीं संभव
तेरा शरीर 
लौट आये
ये प्यार  तुम्हारी देह  सा  है /

इस रास्ते
है तुम्हरी महक
ये रास्ता
देख मुझे
अब भी शरमाता सा है /

देह से
निकल जाने के बाद
तुम रोयें सी
लिपट गयी
अब सब कुछ तुमसा है /

4 comments:

  1. किसी को खोने की मार्मिक अभिव्यक्ति । शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. uff ! bahut hi gahan abhivyakti.

    ReplyDelete
  3. पढने के बाद कितनी देर मौन रही, पता नहीं.

    ReplyDelete
  4. दिल के एहसासों को खोबसूरत अलफ़ाज़ दिए हैं.....बहुत खूब

    ReplyDelete