दुनिया में नाचते मोर है तो
सांप भी है घृणा के
जिनके आतंक से
विषैली न हो जाये हमारी सरिता
हर साँस भरो प्यार से
हर साँस छोडो ईर्ष्या
जो जम कर इस महा सागर के तल पर
घुल जाएगी दलदल ज्यों जल में
विचारों की काई फिर
करती रहेगी साफ़ सोच के पानी को
और तैरती रहेंगी सतह पर
स्नेह व् विश्वास की रंगीन मछलिया
सरिता होती रहेगी निर्मल,बहती रहेगी कलकल
जिंदगी का हर पल
आनंद की धुन पर झूमता
भरोसे के चप्पू पर चलता रहेगा
रिश्ता मेरा और उसका
यूँ ही बढ़ता रहेगा
उस एक की तरफ ....
द्वेष भरे विचार निर्मल होते रहें ....ऐसी ही प्रेम की सरिता बहती रहे.....खूबसूरत लेखन.
ReplyDeleteभरोसे के चप्पू पर चलता
ReplyDeleteरिश्ता मेरा और उसका
बढ़ रहा है यूँ
उस एक की तरफ ..
Ye lines kafi khoobsurat hain!
bahut sateek aur sashakt lekhan ...
ReplyDeleteBhawana Sharma
रिश्ता मेरा और उसका
ReplyDeleteयूँ ही बढ़ता रहेगा...
वाह क्या बात है...
कृति
ReplyDeleteरिश्ते तो प्यार के होते हैं
द्वेष और नफरत तो इन रिश्तों को तोड़ते हैं
जो प्यार न करे वो कैसे इन्सां
शैतानी फितरत तो केवल मौत देती है
नफरत के इस भंवर से निकल कर
प्यार का पैग़ाम जो फैलाए
वही उस ईशवर की सच्ची कृति!!!