कितना समय रहा साथ उसके
प्यार में गुजरा कैसे वक़्त !
याद आया आज
जब वो रूठ गया है
मनाने पर भी नहीं मानता
जहा पड़ते थे मेरे कदम
वही बिछ जाता था वो
मखमली हरी घास ज्यों
आज वो खड़ा है मेरी राह में
एक पत्थर की मानिंद
कही गहरी चोट लगी है उसे
मेरी बात कोई चुभी है उसे
शायद नश्तर ज्यों
गहरे सदमे में है दोस्त
और में भी हूँ औचक
अपने भोचक हुए समय के साथ
अब वो नहीं है मेरे पास
मगर मेरी हर बात में झलकती है उसकी बात
मेरे हर पल में है उसकी आवाज
वो भी तो नहीं भुला होगा मुझे
मगर यही है विडंबना
जिसे चाहते है सबसे ज्यादा
वही रूठ जाता है
छोटी सी किसी बात पर
जो कब कही गयी?
क्यूँ कही गयी ?
कैसे कही गयी ?
वो कहने वाला भूल जाता है
सुनने वाला भूला नहीं पाता बरसों
और एक घोंसला यू बिखर जाता है /
namaskar rakesh ji......
ReplyDeletewaah bahut hi gahri baat kah di.
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