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रोशनी बताती है
अँधेरे को रास्ता
अँधेरा अपने अहम् में मदहोश
इशारा करता है
अपने अंधेरों की ओर
कि अगर जीवन का लेना हो सच्चा आनंद
तो गुम हो जाओ इन अँधेरी गुफाओं में
कोई नहीं पहचान पायेगा तुम्हे यहाँ
फिर जैसा भी चाहो करो तुम
और ठहाका लगाता है वो
जिसका अंत
डरा देता है रोशनी को
हंसी में भरा है उसके कितना रूदन !
सहलाती है अँधेरे को गोदी में लेकर
रौशनी अँधेरे को दुलारती है
धीरे धीरे अँधेरा
होता है रोशन ......
कि अगर जीवन का लेना हो सच्चा आनंद
ReplyDeleteतो गुम हो जाओ इन अँधेरी गुफाओं में
कोई नहीं पहचान पायेगा तुम्हे यहाँ
bahut gaharayi hai in panktiyon men ....bahut achchhi abhivyakti..
अँधेरा हर चीज़ को खा जाता है
ReplyDeleteअँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
पर रोशनी की एक छोटी सी किरण
अँधेरे को चीर कर रख देती है
और
अँधेरा, जो स्वयं को
बहुत बलवान समझता है,
रोशनी के आते ही गायब हो जाता है
और उसमें समा जाता है
अँधेरे से घबराना बेवकूफी है,
नासमझी है, नादानी है
क्योंकि आशा की रोशनी
सदा हर अँधेरे को ख़त्म कर देती है!!