असहाय है जो
उसको अगर दे सको तुम सहारा
तो खुद ही खड़े होते हो
साफ़ करते हो अपने को
और समझते हो खुदके होने का अर्थ
असहाय हो आप
अगर समझ नहीं आती किसी की मजबूरी
क्रूर हो ,हिंसक हो ,और बेचारे भी
समझ लो
जरुरत है अभी भी तुम्हे सहायता की ....
मेरे वजूद का होना न होना एक बराबर यदि यह किसी के काम न आ सके! मेरी दयनीय असहायता मेरा मुँह चिढ़ाती है, मुझ पर हँसतीं है ! मुझ से हर बार कहती है--... See More उठ, कुछ कर ! उन अभागों के लिए, जिनका और कोई नहीं है! उठ, और उन्हें गले लगा, जो प्यार को तरसते हैं! तेरे तो पाँव हैं जो तुझे तेरी मंजिल की तरफ़ ले जायेंगे! उठ. और उनका सहारा बन, जो चल नहीं सकते! तू तो दुनिया देख सकता है, उन्हें अपनी आँखों से कुदरत के रंग दिखा, जिनकी दुनिया बेरंग है! अपनी असहायता के दायरे से बाहर निकल, और उनके लिए जी जो तेरी ओर आँखें बीछाए, टकटकी लगाए उम्मीद भरी आँखों से देख रहे हैं! क्योंकि शायद वह तेरी क्षमता को देख सकते हैं वह क्षमता जो तेरी असहायता के पीछे छिपी है! उठ, और अपनी असहायता को अपनी ताक़त बना और दुनिया के दर्द को बाँट, अपनी हस्ती बना!!!!
...सुन्दर रचना !!!
ReplyDeleteBahut sunder aur saty .........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव!
ReplyDeleteखूबसूरत रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना. बधाई.
ReplyDeletesabi ko aise hi sochna chahiye
ReplyDeleteमेरे वजूद का होना न होना एक बराबर
ReplyDeleteयदि यह किसी के काम न आ सके!
मेरी दयनीय असहायता मेरा मुँह चिढ़ाती है,
मुझ पर हँसतीं है !
मुझ से हर बार कहती है--... See More
उठ, कुछ कर !
उन अभागों के लिए,
जिनका और कोई नहीं है!
उठ, और उन्हें गले लगा,
जो प्यार को तरसते हैं!
तेरे तो पाँव हैं जो तुझे तेरी मंजिल की तरफ़ ले जायेंगे!
उठ. और उनका सहारा बन,
जो चल नहीं सकते!
तू तो दुनिया देख सकता है,
उन्हें अपनी आँखों से कुदरत के रंग दिखा,
जिनकी दुनिया बेरंग है!
अपनी असहायता के दायरे से बाहर निकल,
और उनके लिए जी जो तेरी ओर आँखें बीछाए, टकटकी लगाए
उम्मीद भरी आँखों से देख रहे हैं!
क्योंकि शायद वह तेरी क्षमता को देख सकते हैं
वह क्षमता जो तेरी असहायता के पीछे छिपी है!
उठ, और अपनी असहायता को अपनी ताक़त बना
और दुनिया के दर्द को बाँट,
अपनी हस्ती बना!!!!