सुबह सुबह चिड़ियों ने ये क्या कह दिया
कैसे जान लिया ...
कैसे ..मेरे साजन को पहचान लिया
में बांवरी हुए जिसके लिए
उसी का नाम ले ले
छेड़ रही है ---वे सब
चहचहाती नहीं ----मुस्कुराती है
मेरे आगे पीछे --उड़ उड़ ..खुस्फुसाती
उसी के नाम का रट लगाये जाती .है ....
जिसके कारन
भूली मैं --अपना आप!
हर समय करती हूँ जिसका जाप !!
कैसा है ये ...मुझको उसका ताप !!!
झल्ला कर ..गुस्सा कर
भगा कर चिड़ियों को
बंद कर देती हूँ खिड़कियाँ ..दरवाजे ..
तोड़ सारे तार..बंद कर देती ... फ़ोन , नेट,स्काइप
दर्पण के सामने खड्डी हो खोजती हूँ अपने को
हैरान हो देखती .हूँ .....उसे... दर्पण में --अपने चेहरे की जगह
ये कैसे हुआ ....मैं उसमे बदल गयी ???
मेरे रोयें रोयें मुस्कुराता ...
ताक़ रहा है वो मुझे..टुकुर टुकुर
कचोटती हूँ, काटती हूँ-- अपने को
और रोती हूँ जार जार................
क्यों मेने उसको दर्द दिया ?
हाँ ..हाँ ...हाँ मेने उससे प्यार किया
चिड़िया सच ही गाती है
चिल्ला चिक्ल्ला में भी कहूंगी पूरे जग
हाँ हाँ ..मेने शिव को स्वीकार किया .....
bahut
ReplyDeletekhoob sir....
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
nice
ReplyDeleteखूबसूरत ख्याल...बहुत खूब
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