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Sunday, April 18, 2010

बेटी यो विदा होती है ....

खिलखिलाती  है वो
खिलखिलाता  पूरा परिवार
आँखें मगर क्यों भीग  भीग जाती  है
वो भी ठहर जाती है एक पल
माँ बाउजी  भी
बहिन और पूरा घर
जानते है- मेहमान है अब वो -कुछ दिनों की
बनाएगी अब खुद का घर
जहा होंगे पूरे उसके सपने
ख़ुशी  क़ी ये घड़ी
भीतर तक  झकझोर  जाती है
नए नए कपड़ों क़ी खुशबू
साथ उसके भेजे  जाने वाला सामान
बचपन क़ी वो गुडिया
ये उसकी मार्कशीट ,उसके सारे कागज
उसकी डिग्री
कही कुछ छूट न जाये
उसका कुछ यहाँ रह ना जाये
माँ याद कर कर पैक करती  है
वो भी याद कर करके
सजा सजा कर  सहेज रही है अपनी चीजे
चोखट सब देखती है और मुह छुपाये
इंतिज़ार करती है उस पल का
जब बच्ची  ये
बाहिर  रखेगी कदम अपना
उस पल कैसे सहे सब हंस कर वो 
जिसको देख देख बरसों
बीते है
घर सोच रहा है
उस पल कैसे हँसते रहना है 
दीवारें करती है अपने को तैयार 
फर्श  चोकन्ना हुआ है कुछ ज्यादा ही
बालकोनी सावधान
बगीचे के पूरे पौधे ..चिड़िया ,फूल और तितलियाँ
समझाते एक दूजे  को
ख़ुशी का है ये पल
रहना है हम सबको  हँसते हँसते
सब इतनी सावधानी से उसे करते  जाते  है  पराया
और इन सब से अनजान
फिर भी गीली  हो ही जाती ये आँखे
खिलखिलाहट  के अंतिम छोर
भीतर  सिसकता है मोह
बेटी यो विदा होती है ....

12 comments:

  1. superb...superb...Superb!!!!!

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  2. veryy touching...awesome..as alwayz..:)

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  3. its nice and so touching....

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  4. bahut hi maarmik chitran kiya hai ek beti ke vida hone ke dukh ko...
    bahut khoob..!!!

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  5. बेटी की विदाई...बहुत सुन्दर चित्रण!

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  6. फिर भी गीली हो ही जाती ये आँखे
    खिलखिलाहट के अंतिम छोर
    भीतर सिसकता है मोह
    बेटी यो विदा होती है ....
    बेटियां यूँ ही विदा होती है ...भर देती हैं आँखें ...भीतर सिसकता है मोह ...!!

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  7. दिल में कहीं कुछ हुआ है अभी अभी इसे पढ़कर

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  8. bahut khub



    shekhar kumawat


    http://kavyawani.blogspot.com

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  9. भीतर सिसकता है मोह
    बेटी यो विदा होती है ....
    बेटियां यूँ ही विदा होती है ...भर देती हैं आँखें

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  10. क्या बात कही है आपने.. बहुत खूब

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  11. Anonymous15 May, 2010

    Rok liya aapne es pal ko...our bhej diya mujhe aapne bachpan me.....mujhe aapne gav ki ayad aarhi hai...very nice

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