बात कैसे करे उससे क्या करे
बस प्यार करे चुप हो देखा करे .
बोले तो बात बवंडर हो नाचेगी
चुप हो तो फिर वो हमें ताका करे .
जंगल को ख़ामोशी की जरुरत है
फूलों को तो तितली ही जाना करे .
सोने वालों का जागना सपना हुआ
नींद क्या होती है सपनो से पूछा करे .
बात दिल से आई है या यू ही कही है
ये तो उसकी आँखों से ही पढ़ा करे .
मत हंसो तुम इतना उसे देख देख
जो वो शर्माए तो लोग उसे देखा करे .
बरस बीते साथ साथ रहते उसके
शब्द नहीं अब चुप ही बात किया करे .
waah Rakesh ji bahut khoob...
ReplyDeleteबात दिल से आई है या यू ही कही है
ReplyDeleteये तो उसकी आँखों से ही पढ़ा करे .
वाह क्या बात है.....बहुत खूबसूरत ग़ज़ल..
खूबसूरत ग़ज़ल..
ReplyDeleteबरस बीते साथ साथ रहते उसके
ReplyDeleteशब्द नहीं अब चुप ही बात किया करे
क्या बात .....बहुत खूबसूरत ......
सब पढने को बैठे , शाम शानदार !
ReplyDeleteआप यू ही बस सुंदर गजल किया करें!
लफ़्ज़ों का क्या करना है?
ReplyDeleteबेपर्दा कर देंगे ये,
उन जज्बातों को,
जो सिर्फ नज़रों की बोली समझते हैं!!
उसका दीदार तो,
नज़रों की गहराईओं से होता है!!
खामोश रहने दे मुझे!
न कर लफ़्ज़ों के लिए इसरार!
मेरे साथ है तू न जाने कब से!
तो क्या तू मेरी चुप्पी को नहीं समझता??
लफ़्ज़ों में बयाँ हो बात निकलेगी,
तो लोगों के तानों का सबब होगी!!
मेरी ख़ामोशी ही मेरे प्यार का इज़हार है!
समझ इसे और मुझे चुप रहने दे!!!