पीले हुए पत्तों पर चलते चलते जाना है
हरे होने का अर्थ
तितली होकर ही जाना है फूलों को
मन होकर जाना है अब तन को
धूल होकर जाना है देह को
हंसी होकर जाना है तुम्हारे लबों को
पदचापों की लय को जान कर पार किये है रास्ते
नदी बन समुन्द्र को जाना है
धरती बन आकाश को चाहा है
अब तो तुम समझो पढ़ मेरी कविता
मैने तुमसे प्यार किया है ....
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut sundar Rakesh ji
ReplyDeleteनासमझी रहती है सदैव प्यार की धरोहर ,
ReplyDeleteसमझदारी होती है प्यार पर बोझ अक्सर .