बहुत दूर से पुकार कर उसे
खुश हो जाता हूँ
मगर आवाज उस तक नहीं पहुँचती
मुझे भी बताया उन्होंने तब
जब में बरसो पुकार पुकार उसको
पुकारने का आदी हुआ
कहा मैने उनसे
आज नहीं तो कल सुनेगा
विश्वास है मुझे
मान भी लेता हूँ की नहीं सुनेगा वो ...न सुने
मुझे तो लगानी ही है उसे आवाज
यू सोच कर जो पुकारा उसे
और वो आ गया ..
पुकार और श्रद्धा का नाता है
दूरी कितनी भी हो
श्रद्धा वो तीर है जो पार कर ले ये ब्रह्माण्ड
विश्वास की कमान पर चढ़ा तुम
तीर श्रद्धा का चलाओ
वो जहा भी है आयेगा
हर हाल ...तुम्हारे पास ...
सुन्दर व सशक्त अभिव्यक्ति.........
ReplyDeletenice
ReplyDeletesahi hai prem kam bhakti ka ras jyada dika..bahut sundar
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