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Saturday, May 22, 2010

वो जहा भी है आयेगा

बहुत दूर से  पुकार कर उसे
 खुश हो जाता हूँ
मगर आवाज उस तक नहीं पहुँचती
मुझे भी बताया उन्होंने तब 
जब में बरसो पुकार पुकार उसको
पुकारने का आदी हुआ
कहा मैने उनसे
आज नहीं तो कल सुनेगा
विश्वास है  मुझे
मान भी लेता हूँ की नहीं सुनेगा वो ...न  सुने
मुझे तो लगानी ही है उसे आवाज
यू सोच कर जो पुकारा उसे
और वो आ गया ..
पुकार और श्रद्धा का नाता है
दूरी कितनी भी हो
श्रद्धा वो तीर है जो पार कर ले ये ब्रह्माण्ड
विश्वास की कमान पर चढ़ा तुम
तीर श्रद्धा का चलाओ 
वो  जहा भी है  आयेगा
हर हाल ...तुम्हारे पास ...

3 comments:

  1. सुन्दर व सशक्त अभिव्यक्ति.........

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  2. sahi hai prem kam bhakti ka ras jyada dika..bahut sundar

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