ख़ामोशी
एक लिबास की तरह चस्पां हो गयी है
सिल गए है वे सारे क्षण जो बिताये थे तेरे संग
तू मुझमें अजनबी लड़की सी रहती है अब
रास्ते के फूलों में कभी कभार आती है तेरी खुशबू
अहसास दिलाती जो कि में अभी ज़िंदा हूँ
वही एक पल में अब मरता हूँ
नश्वर हुआ है समय ख़ामोशी की बर्फ में जमकर
ये ग्लेशियर शताब्दियों में बनता है
तो शताब्दियों में पिघलेगा
अब कई सदियोंप्यार यों ही मौन रहेगा ...
bahut khoob....
ReplyDeleteये ग्लेशियर शताब्दियों में बनता है
ReplyDeleteतो शताब्दियों में पिघलेगा
ye lein bahut achchhee lagee
han mutha ji aap ne mujhe face book me nahee joda hai to aapke wall pr tippanee nahee kar pa rha hu
सदियों में बना ग्लेसिअर सदियों में पिघलेगा ...प्यार मौन रह कर इन्तजार करेगा ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...!!
मौन का नया चित्रण ।
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