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Tuesday, July 6, 2010

वो ..जीवाश्म


उडती धूल के संग बह गयी
बात्तें .समय की वो लों बुझ गयी
अवशेष है
भुर्र्भुराता
देता आभास
उसका
जो गूंजता है
आज के पिछवाड़े
रहेगा वो
चाहे पत्थर हो जाये रेत
चलता रहेगा साथ
अनंत बरसों
..जीवाश्म ...
वो .

2 comments:

  1. बरसों का इतिहास समेटे, जीवाश्म ।

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  2. sundar shabdo ka chayan..........vishaya achchha hai

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