अनजानी फुसफुसाहटें
यादें ...
कदम कदम इस रास्ते
रहती है
गए दिनों की वो बातें
जानता हूँ
नहीं लौटोगी तुम
और यह भी
तुम कह गयी थी
मैं हूँ तुम्हारे साथ हमेशा
जानता हूँ सब झूठ है
कभी कभार आंसुओं के साथ धो लेता हूँ
अपना चेहरा
कभी तुम्हारी खिलखिलाहट
कभी तुम्हारी आँखें ..
बस बस ....पहिली बारिश की सोंधी महक सा
पहिला प्यार तुम्हारा
हाँ हाँ ...है मेरे साथ धडकता मुझमे ...है
हाँ ...हो तुम ...हो ...हाँ मैं हूँ ......
मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.......
ReplyDeletebahut khoob Rakesh ji...........me to fan ho gaya apka
ReplyDeleteमैं तो हूँ ही
ReplyDeleteसदा
दिल में धड़कन की तरह
जिस्म में साँसों की तरह
शरीर में आत्मा की तरह
मुझ से आत्मा तृप्त हो
मुझ में ही विलीन हो जाती है
मैं हूँ
मेरा एहसास है
और मेरे होने के एहसास में ही जीवन है!!!
bagoot hi sunder bavo se saji hui......
ReplyDeleteभावुक करती पंक्तियाँ।
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