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Thursday, September 23, 2010

...हाँ मैं हूँ ......

अनजानी फुसफुसाहटें
यादें ...
कदम कदम इस रास्ते
रहती है
गए दिनों  की वो बातें
जानता हूँ
नहीं लौटोगी तुम
और यह भी
तुम कह गयी थी
मैं हूँ तुम्हारे साथ हमेशा 
जानता हूँ सब झूठ है
कभी कभार आंसुओं के साथ धो लेता हूँ
अपना चेहरा
कभी तुम्हारी खिलखिलाहट
कभी तुम्हारी आँखें ..
बस बस ....पहिली बारिश की सोंधी महक सा
पहिला प्यार तुम्हारा
हाँ हाँ ...है मेरे साथ धडकता मुझमे ...है
हाँ ...हो तुम ...हो ...हाँ मैं हूँ ......

5 comments:

  1. मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.......

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  2. bahut khoob Rakesh ji...........me to fan ho gaya apka

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  3. मैं तो हूँ ही
    सदा
    दिल में धड़कन की तरह
    जिस्म में साँसों की तरह
    शरीर में आत्मा की तरह
    मुझ से आत्मा तृप्त हो
    मुझ में ही विलीन हो जाती है
    मैं हूँ
    मेरा एहसास है
    और मेरे होने के एहसास में ही जीवन है!!!

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  4. भावुक करती पंक्तियाँ।

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