जिस कोने था वो कल
उस कोने को खाली कर
वह जला दी गयी है अगरबत्ती
जो छोड़ रही है रह रह महक
जैसे वो देता था खुस्ब्बू
साँस साँस धुंवा छोडती अगरबत्ती
भी बुझ गयी है
कोना अँधेरे से घर गया है
कल सबह की पहली किरण
शायद ये कोना फिर हो जाये आबाद
मगर मैं ये जानता हूँ वो अब नहीं आयेगा
gahre bhav liye abhivykti jagah bana le gayee....
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति। मन तो जाने वालों को हमेशा हर कण मे ढूँढ्ता है। शुभकामनाये
ReplyDeletebahut khoobsurt
ReplyDeletemahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
बड़ी सुन्दर पंक्तियाँ।
ReplyDelete